दिलीप कुमार बेचते थे फल, सोनम ने की वेट्रेस की नौकरी, जानें स्टार्स का अतीत
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जॉन अब्राहम
मुंबई. बॉलीवुड के सितारों के बारे में जानने की हमारी उत्सुकता अक्सर बनीं रहती है। ऐसे कई स्टार्स हैं जिन्होंने कड़े संघर्ष के बाद शोहरत की बुलंदियों को छुआ, लेकिन उनके पास्ट को लेकर सिनेप्रेमी बहुत ज्यादा नहीं जान सके। हाल ही में ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार की बायोग्राफी 'सब्सटैंस एंड शेडो' लॉन्च की गई। 'सब्सटैंस एंड शेडो' को लिखने के लिए इसकी लेखिका उदय तारा नायर को चार साल का समय लगा है। उन्होंने इसके लिए दिलीप साहब के सैकड़ों इंटरव्यूज लिए हैं। बायोग्राफी में दिलीप साहब ने अपनी जिंदगी के कई ऐसे अहम राज खोले हैं, जिन्हें अब तक उनके अलावा और कोई नहीं जानता।
बॉलीवुड के कई स्टार्स ऐसे भी हैं जो फिल्म इंडस्ट्री में आने से पहले बहुत छोटे-मोटे मामूली काम ही किया करते थे, लेकिन इन्होंने अपनी लगन और जुनून से अपनी किस्मत को पलट कर रख दिया। इनमें दिलीप कुमार भी एक थे। दिलीप कुमार के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं कि वह फिल्मों में आने से पहले एक कैंटीन के संचालक थे। इतना ही नहीं दिलीप कुमार का बचपन बेहद मुफलिसी में बीता। दिलीप की फैमिली जब पहली दफा मुंबई पंहुची तब उन्होंने शुरुआत में मुंबई की सड़कों पर फल तक बेचे। इस रिपोर्ट के जरिए हम आपको ऐसे ही कुछ बॉलीवुड स्टार्स की जिंदगी के उन अनछुए पहलुओं को बता रहे हैं, जिनसे आप अब तक शायद अनजान रहे हों...
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सोनम कपूर को क्यों बनना पड़ा वेट्रेस
यह बात आपको हैरान कर सकती है कि मशहूर अभिनेता अनिल कपूर की बेटी सोनम कपूर ने अपनी युवावस्था में वेट्रेस का काम किया। जी हां यह बात सौ फीसदी सच है। सोनम कपूर ने 15 वर्ष की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। तभी से सोनम इंडीपेंडेंट लाइफ जी रही हैं। दरअसल सोनम जब अपनी पढ़ाई के सिलसिले में सिंगापुर गई तब उन्हें अपनी कम पॉकेट मनी के चक्कर में एक रेस्त्रां में वेट्रेस का काम करना पड़ा। सोनम भले ही आज बड़ी स्टार हैं, लेकिन कभी उन्हें अपने ब्रांडेड कपड़ों को खरीदने के लिए घर से बहुत ज्यादा पैसे नहीं मिलते थे। सोनम ने खुद इस बात का खुलासा सिमी ग्रेवाल के चैट शो में किया था। बकौल सोनम मेरे पेंरेट्स ने कभी मुझ पर अपनी स्टारडम हावी नहीं होने दी और हमेशा मुझे एक आम लड़की की ही तरह ट्रीट किया। उन्होंने इस शो में बताया था कि उनके पेरेंट्स उन्हें डिजायनर कपड़े नहीं दिलवाते थे, जिसके चलते उन्होंने अपने शौक को पूरा करने के लिए वेट्रेस की नौकरी करने का मन बनाया।
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मल्लिका फिल्मों में आने से पहले थीं एयर हॉस्टेस
फिल्म मर्डर के जरिए बॉलीवुड में बोल्डनेस की नई परिभाषा लिखने वाली मल्लिका शेहरावत बी-टाउन में एंट्री लेने से पहले एक निजी एयरवेज कंपनी में एयर होस्टेस की नौकरी करती थीं। मल्लिका का असली नाम रीमा लांबा है। हरियाणा से ताल्लुकात रखने वाली मल्लिका ने एयर होस्टेस रहते हुए एक पायलेट से शादी भी की थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी नौकरी और हसबैंड दोनों को छोड़कर फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया। आज मल्लिका फिल्म इंडस्ट्री में बहुत अच्छे से न केवल पहचानी जाती हैं, बल्कि साल में उनकी एक-दो फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो जाती हैं।
आगे की स्लाइड में पढ़िए परनीति चोपड़ा फिल्मों में आने से पहले थीं एक बैंकर
फिल्म मर्डर के जरिए बॉलीवुड में बोल्डनेस की नई परिभाषा लिखने वाली मल्लिका शेहरावत बी-टाउन में एंट्री लेने से पहले एक निजी एयरवेज कंपनी में एयर होस्टेस की नौकरी करती थीं। मल्लिका का असली नाम रीमा लांबा है। हरियाणा से ताल्लुकात रखने वाली मल्लिका ने एयर होस्टेस रहते हुए एक पायलेट से शादी भी की थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी नौकरी और हसबैंड दोनों को छोड़कर फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया। आज मल्लिका फिल्म इंडस्ट्री में बहुत अच्छे से न केवल पहचानी जाती हैं, बल्कि साल में उनकी एक-दो फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो जाती हैं।
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परनीति चोपड़ा फिल्मों में आने से पहले थीं एक बैंकर
अपनी ताजगी भरे अभिनय के लिए पहचानी जाने वाली परनीति चोपड़ा फिल्मों में आने से पहले एक बैंकर के रूप में काम कर चुकीं हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि असल बात तो यह है कि मैं कभी अभिनेत्री बनना ही नहीं चाहती थी। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं अभिनेत्री बनूंगी। मैं अभिनेता-अभिनेत्रियों से बहुत नफरत करती थी। मुझे लगता था कि ये लोग अपने काम के बारे में बहुत ड्रामा करते हैं। परनीति ने कहा कि मुझे लगता था कि ये लोग सज-धजकर दो डॉयलाग बोलते हैं और इसी के लिए उनको बहुत सारा पैसा मिलता है। इनका काम ही है फेमस रहना। इसलिए मैं अभिनेत्री नहीं बैंकर बनना चाहती थी, लेकिन जब लंदन में मंदी आई, तो मैं इंडिया लौट आई। इंडिया आकर परनीति ने अपने करियर को फिर से शुरू करने के लिए हाथ-पांव मारे लेकिन बात नहीं बनीं। बाद में उन्हें यशराज फिल्म्स में नौकरी मिल गई और यही उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ। परनीति का मानना है कि यदि उन्हें तब भारत में बैंकर की नौकरी सही वक्त पर मिल जाती, तो वह कभी अभिनेत्री नहीं बनती।
आगे की स्लाइड में पढ़िए फिल्मों में आने से पहले अमीषा थी इकोनॉमिक एनालिस्ट
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फिल्मों में आने से पहले अमीषा थी इकोनॉमिक एनालिस्ट
अमीषा पटेल भी उन अभिनेत्रियों में शामिल हैं, जिन्होंने बॉलीवुड में अपना फिल्मी सफर शुरू करने से पूर्व नौकरी की है। अमीषा ने कैथेड्रल एंड जॉन कैनन स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। इसके बाद वह 1992 में टफ्ट्स विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई के लिए मैसाचुसेट्स चली गईं। यहां उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर इकोनॉमिक्स में गोल्ड मेडल हासिल किया। वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थीं। अमीषा ने ग्रेजुएशन के बाद बतौर इकोनॉमिक एनालिस्ट खंडवाला सिक्युरिटी लिमिटेड में अपना करियर शुरू किया, लेकिन यह उन्हें ज्यादा दिनों तक रास नहीं आया। इसके बाद वह भारत लौट आईं और यहां आकर सत्यदेव दुबे का थिएटर ग्रुप ज्वाइन कर लिया। अमीषा ने ब्लॉकबस्टर मूवी कहो ना प्यार है से अपनी बॉलीवुड डेब्यू किया।
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फिल्मों में आने से पहले हैंड पंप निर्माता कंपनी में धर्मेंद्र ने किया बतौर सुपरवाइजर काम
भारतीय सिनेमा में हीमैन के नाम से मशहूर धर्मेंद्र फिल्मों में आने से पहले एक हैंडपंप निर्माता कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम किया करते थे। इसके बाद धर्मेंद्र ने भारतीय रेलवे में बतौर रेलवे क्लर्क भी काम किया। अपनी जिंदगी के कई वर्ष धर्मेंद्र ने यही काम किए, लेकिन हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें हमेशा से ही अपनी ओर आकर्षित करती रही है। इसी दौरान पंजाब में फिल्म फेयर नव प्रतिभा अवॉर्ड जीतने के बाद तो मानों धर्मेंद्र के सपनों को उड़ान मिल गई। इस पुरस्कार को जीतने के बाद धर्मेंद्र काम की तलाश में मुंबई आ गए। अर्जुन हिंगोरानी निर्देशित फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से धर्मेंद्र ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की। 60 के दशक में प्रदर्शित ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों में अपने अभिनय के रंग बिखेरने वाले धर्मेंद्र को जल्द ही एक रोमांटिक हीरो के तौर पर पहचान मिलने लगी, लेकिन 70 के दशक के मध्य में धर्मेंद्र एक्शन फिल्मों के नायक बन गए।
भारतीय सिनेमा में हीमैन के नाम से मशहूर धर्मेंद्र फिल्मों में आने से पहले एक हैंडपंप निर्माता कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम किया करते थे। इसके बाद धर्मेंद्र ने भारतीय रेलवे में बतौर रेलवे क्लर्क भी काम किया। अपनी जिंदगी के कई वर्ष धर्मेंद्र ने यही काम किए, लेकिन हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें हमेशा से ही अपनी ओर आकर्षित करती रही है। इसी दौरान पंजाब में फिल्म फेयर नव प्रतिभा अवॉर्ड जीतने के बाद तो मानों धर्मेंद्र के सपनों को उड़ान मिल गई। इस पुरस्कार को जीतने के बाद धर्मेंद्र काम की तलाश में मुंबई आ गए। अर्जुन हिंगोरानी निर्देशित फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से धर्मेंद्र ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की। 60 के दशक में प्रदर्शित ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों में अपने अभिनय के रंग बिखेरने वाले धर्मेंद्र को जल्द ही एक रोमांटिक हीरो के तौर पर पहचान मिलने लगी, लेकिन 70 के दशक के मध्य में धर्मेंद्र एक्शन फिल्मों के नायक बन गए।
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सुपरस्टार बनने से पहले बस कंडक्टर थे रजनीकांत
सुपरस्टार रजनीकांत जितना दक्षिण भारत में पहचाने जाते हैं, उतना ही उन्हें उत्तर भारत में भी पहचाना जाता है। आज रजनीकांत का नाम ही किसी फिल्म को हिट करवाने के लिए काफी है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी जमाने में रजनीकांत मुंबई की बेस्ट बस सर्विस में कंडक्टरी किया करते थे। भारत के सबसे महंगे स्टार्स में शुमार रजनीकांत की फिल्म अभिनेता बनने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। एक दफा वर्ष 1975 में जिस बस में रजनीकांत कंडक्टर थे, उस में फिल्मकार बालाचंदर चढ़ गए। उन्होंने रजनीकांत के सिगरेट पीने के अंदाज को देख उन्हें अपनी फिल्म में काम करने का ऑफर दिया और यहीं से रजनीकांत का फिल्मी सफर भी शुरू हो गया।
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जम्पिंग जैक जितेन्द्र करते थे नकली ज्वैलरी की सप्लाई
बॉलीवुड के जंपिंग जैक यानी कि जितेन्द्र फिल्मों में आने से पहले ज्वैलरी सप्लाई करते थे। इसे वी. शांताराम की पारखी नजर का ही कमाल मानिए कि उन्होंने स्टूडियो-दर-स्टूडियो नकली जेवरों की सप्लाई करने वाले रवि कपूर नामक एक लड़के को हिंदी सिनेमा का जंपिंग जैक बना दिया। नकली जेवर बेचने वाले जीतेन्द्र को असली अभिनेता बनाने के लिए वी शांताराम को भी कुछ कम पापड नहीं बेलने पड़े। अपनी पहली फिल्म में एक डायलॉग को सही तरीके से बोलने के लिए जीतेन्द्र ने इतने रीटेक किए कि शांताराम जैसे शांत स्वभाव वाले निर्देशक भी अपना धीरज खो बैठे। 25 रीटेक के बाद भी जब जीतेंद्र सही डायलॉग नहीं बोल पाए तो अंत में हार कर शांता राम ने गलत डायलॉग को ही ओके कर दिया।
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जॉन अब्राहम थे मार्केटिंग कंपनी में मीडिया प्लानर
एक्टर और मॉडल जॉन अब्राहम फिल्मों में आने से पूर्व एक मार्केटिंग कंपनी में मीडिया प्लानर थे। जॉन ने अपने शुरुआती समय में लंबे समय तक मीडिया प्लानर का ही काम किया। एक दिन उनकी पर्सनेलिटी को देखकर एक फैशन फोटोग्राफर ने उनकी तस्वीरें ली। संयोग से यह फोटोग्राफर जॉन की तस्वीरें एक मॉडलिंग फर्म के यहां भूल गया और यही जॉन के करियर का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ। इस कंपनी ने जॉन को मॉडलिंग के लिए एप्रोच किया और वह तैयार हो गए। इसके बाद जॉन पंजाबी सिंगर जैजी बी के म्यूजिक वीडियो में नजर आए और फिर धीरे-धीरे फिल्मों में आ गए।
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